तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥ जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥ दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥ शिव के चरणों में मिलते हैं सारी तीरथ चारो धाम कर त्रिशूल https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa